बुधवार, 31 मार्च 2010

प्यार पर रोक क्यों ?


आज के जनसत्ता में खबर पढ़ी कि एक ही गोत्र में शादी करने के कारण करनाल में मनोज और बबली नाम के एक जोड़े को मौत के घाट उतार दिया गया था । करनाल की जिला और सत्र न्यायालय ने इस मामले में पाँच लोगों को सजा- ए- मौत और एक को उम्र कैद की सजा सुनाई। करनाल की जिला और सत्र न्यायालय द्वारा किया गया ये कार्य प्रशंसनीय है । मनोज और बबली को ये सजा सिर्फ इसलिए दी गयी कि उन्होंने प्यार में आकर सामाजिक मान्यताओं को दरकिनार कर शादी कर ली थी। इस खबर को पढ़ कर मुझे दिबाकर की फिल्म "लव , सेक्स , और धोंखा" की याद आ गयी । इस फिल्म के पहले भाग( प्रारम्भ की स्टोरी ) में भी इसी तरह का मुद्दा उठाया गया है । अपनी मर्जी से शादी करने पर लड़की का भाई और पिता उन दोनों (प्रेमी ओर प्रेमिका )को मरवा देता है । इन सभी बातों को पढ़ कर या देख कर समाज के उन ठेकेदारों (जो प्रेम विवाह का विरोध करते है ) के प्रति जो इस तरह की हरकत करते हैं नफरत और गुस्से से मन भर जाता है है तो दूसरी तरफ इन प्रेमियों के प्रति सहानुभूति भी होती है कि इन लोगों ने किसी का क्या बिगाड़ा होता है सिर्फ इतना ही तो की ये एक - दूसरे को पसंद करते हैं और बिना किसी शर्त के पूरा जीवन एक- दूसरे के साथ बिताना चाहते हैं पर इनके माँ -बाप अपनी झूठी शान की खातिर अपने उन बच्चों की दुर्गति करने में भी पीछे नहीं हटते जिन्हें वे सालों- साल तक पाल कर उनका भरण -पोषण करते है । बच्चों को मौत के घाट उतारते वक्त उन्हें जरा भी मलाल नहीं होता क्या ये माँ बाप है ?जो जल्लाद को भी पीछे छोड़ देते है मनोज और बबली का केस तो न्यायालय तक पहुचने के कारण हमारे सामने आ भी गया वरना जाने ऐसे कितने और केस होंगे जिनका हमें पता भी नहीं चल पाता है । पर इस बात की ख़ुशी है की इस तरह के केस सामने आने की शुरुआत तो हो ही गयी है और हम सभी को भी इसका साथ देना चाहिए जिससे किसी और बबली या मनोज की जान ना जाए किसी से प्यार करने या शादी करने का अर्थ कुछ गलत काम करना नहीं है । तो जब वे कुछ गलत कर ही नहीं रहे तो फिर सजा किसे और किस बात की ? मै जब भी कभी इसी तरह के किन्ही जोड़ों या फिर दोस्तों को देखती हूँ तो उनके खिले हुए चेहरों को देख कर मन को काफी सुकून मिलता है पता नहीं क्यों लोग इनकी खुशियों को छीनना चाहते है, छीनने की कोशश करते हैं पता नहीं हम लोगों की ये कट्टर मानसिकता कब ख़तम होगी और हम जाति , बिरादरी , आदि से बाहर निकल कर एक - दूसरे को इंसान समझेंगे और सहज जीवन जीने देंगे ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. जाने अभी कितना समय लगेगा इन सब फालतू की दकियानूसी बातों से उबरने में.

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  2. पता नहीं क्या क्या देखना बाकी है....

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  3. ye sab swarth hai,
    pyaar ko humesha se hi galat samjha gay hai,
    woh kahawat hai naa''bandar kya jaane adrak kaa swad,theek usi prakar jo pyaar mein kabhi pade nahi woh kya jaane pyaar hota kya hai?

    shayad aapke is lekh ko padhkar pyaar karne waalon ka kuch bhala hojaaye........aasha karta hoon....aur apni taraf se har shaks ko pyaar ki ehmiyat samjhata rehta hoon,vishwash hai mujhe ye kadam age hi badhenge ........yaad rakhiyega

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