रविवार, 11 अक्तूबर 2009

जनता अब सरकार की मोहताज नहीं.......

केवल सरकार के नाम पर या उसके पिछलग्गू होकर ही गावों/ शहरों का विकास नहीं किया जा सकता बल्कि यदि आपसी प्रेम,सौहार्द और भाईचारे की भावना हो तो हम बड़े से बड़ा काम भी आसानी से कर सकते हैं l ऐसा ही एक उदाहरण सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर के औराई ब्लाक के लोगों ने कर दिखायाl सीतामढ़ी के बसतपुर इलाके में पुल न होने के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना( गंदे पानी में जाने के कारण खुजली जैसे रोग तथा सर्दियों में नदी पार करना एक समस्या बन जाती थी जिससे इस इलाके के लोगों का दूसरे इलाके के लोगों से संपर्क टूट जाया करता थाl )करना पड़ता थाl गाँव के लोगों ने सरकारी अधिकारियों से कई बार इसकी शिकायत की पर जब उनकी तरफ से कोई सहारा नहीं मिला तो इन मुसीबतों को दूर करने के लिए मुजफ्फरपुर के औराई ब्लाक की दर्जन भर पंचायतो और सीतामढ़ी के बसतपुर पंचायतो के लोगों ने सरकार की सहायता के बिना खुद ही मेहनत तथा रूपये इकठ्ठा कर 125 फीट का बांस का पुल तैयार कियाlपुल का कुल खर्चा 1 लाख रुपये आया तथा महीने भर से भी कम समय में पुल बनकर तैयार भी हो गयाl इस प्रकार का कार्य करके उन्होंने सरकार को तो करारा जवाब दिया ही है साथ ही आपसी भाईचारे की भावना को भी बढाया हैl गाँव के लोगों ने सरकार से खफ़ा होकर पुल पर एक नोटिस भी लगा दिया है जिसमे लिखा है ''अपने पुल पर 'अपने ' लोग चलेंगे, न नेता न अधिकारी'' इतना ही नहीं वे डटकर कहते हैं किउन्हें इस बात कि भी कोई परवाह नहीं है कि बाढ़ आने से बांस का पुल ढह जाएगा बल्कि वे तो यहाँ तक कहते हैं कि हर बार पुल टूटने पर वे नया पुल बनाएंगे और सरकार के सामने इस मुद्दे को उठाते रहेंगेl इस प्रकार इन लोगों ने यह दिखा दिया है कि विकास के नाम पर केवल सरकार का रोना हम कब तक रोते रहेंगेl आज जरुरत है कि हम खुद आगे बढ़ कर अपना विकास खुद करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंl अगर हम सरकार के ही भरोसे रहकर बैठे रहें और सोंचते रहें कि यह काम हमारा नहीं (भले ही उसके कारण हमें कई असुविधाओं का सामना ही क्यों न करना पड़े और सरकार के नाम पर वह कार्य महीनों/ सालों तक प्रगति पर ही क्यों न अटका रहे) तो इससे न तो हम ही कभी विकास कर पाएँगे और न ही हमारा देश ही कभी विकसित हो पाएगाl हमें सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर के लोगों से सीख लेनी चाहिए जिन्होंने यह दिखा दिया है कि जनता अब सरकार की मोहताज नहीं है और अगर हम चाहें तो खुद अपने बल पर भी काम कर सकते हैंl आखिर कब तक हम सरकार की ओर आशा भरी निगाहों से देखते रहेंगे .....?????

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उपयोगी एवं प्रेरणादायक सूचना ! आशा है, अन्य क्षेत्रों के लोग इससे सीख लेंगे । दूरदर्शन (टीवी) पर एक बार कर्नाटक के किसानों द्वारा श्रमदान से बाँध (डैम) बनाने की खबर प्रसारित की गई थी ।

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