मंगलवार, 3 अगस्त 2010

'shadwos of time' -प्यार ,नफरत,धोंखा



'shadows of time' (बंगला फिल्म ) देखी फिल्म की परिस्तिथियाँ उसके नाम को सार्थक करती है कहानी में मुख्य रूप से दो पात्र हैं रवि और माशा रवि एक फेक्टरी में बाल मजदूर है जबकि माशा का बाप खुद ही उसे बेच देता है दोनों उस फेक्टरी में काम करने लगते हैंफेक्टरी का मैनेजर ऊपर की कमाई करता है इसलिए वह गलत काम भी करता है और फेक्टरी की 'थोड़ी बड़ी लड़कियों' को पैसे वालों के हाथ बेच देता है इसलिए जब वह माशा को भी उसी दृष्टि से देखता है तो रवि माशा को उससे लगाव होने के कारण उसे शोषित होने से बचा लेता है और मैनेजर को उसके पैसे चुकाकर उसे उस नरक से निकाल लेता है साथ ही उसे पैसे देकर कलकत्ता शहर में उसे उसके बाप को ढूंढने के लिए भेज देता है ताकि वह वहां खुश रह सकेमाशा जाते वक़्त उसे अपनी निशानी के तौर पर एक माला देती है और कहती है कि
हम शिव मंदिर पर मिलेंगे पर समय की ऐसी कुदृष्टि उस पर पड़ी हुई थी की वह आपने बाप को तो नहीं ढूंढ़ पाती हाँ कोठे की तवायफ जरुर बन जाती है। रवि काफी कोशिश करता है की वह भी माशा के पास जा सके पर मैनेजर उसे जाने नहीं देता और इतने पैसे उसके पास थे नहीं की वह अपनी कीमत उसे चुका सकता उधर माशा रवि के लिए रोज शिव मंदिर जाती है उसे विश्वास है की रवि एक दिन जरुर आएगा पर समय को उनका मिलन मंज़ूर नहीं था तभी तो रवि के शिव मंदिर पर पहुचने पर माशा उसे देखकर भी उससे बात नहीं करती वह देखती है की एक औरत उसके साथ है तभी वह आवाज़ लगाकर उसे दूर से ही देख कर चली जाती हैरवि के साथ जो लड़की है वह ये सब देख कर भी उसे कुछ नहीं बतातीरवि को किसी दूसरी के साथ देख कर माशा को बहुत दुख होता है और जो काम उसने आज तक नहीं किया था उसे वह अब करती हैउसने आज तक अपने आप को किसी को बेचा नहीं पर अब वो दुखी होकर किसी ऐसे व्यक्ति से भी शादी करने को तैयार हो जाती है जिसे वह चाहती भी नहीं हैं। वह आदमी यानि मि. मिश्रा उसे बहुत चाहता है उसे अपनी बीवी बना लेता है लेकिन समय यहाँ भी उसका साथ नहीं देता और परिस्तिथियाँ उन्हें एक बार फिर आमने -सामने ले आती हैं तब माशा रवि को ताने देती है कि मैंने तुम्हार इनता इंतज़ार किया और तुमने क्या किया तब रवि कहता है कि अगर तुम मुझसे उस समय मिल लेती तो आज हम साथ होते, तब वह मेरी बीवी नहीं थी और फिर सारे गिले शिकवे दूर होते है एक बार फिर प्यार उमड़ने लगता है तभी अचानक माशा के पति को कही और जाना पड़ता है माशा रवि से कहती है कि वह दोबारा उसे खोना नहीं चाहती और वह कल उसका इन्जार करेगी अगले दिन रवि आता तो है पर उसे साथ ले जाने नहीं बल्कि विदा देनेकाफी समय बाद रवि को प़ता चलता है की मि. मिश्रा ने माशा को घर से निकाल दिया है क्यों कि उसने जिस बच्चे को जनम दिया है उसकी एक मुस्कान से उसके सारे दुख दूर तो जाते थे पर वह उसका बच्चा नहीं थारवि इस बात के प़ता चलने पर माशा की मदद के लिए उसे ढूंढ़ता है वह उसे फिर उसी नरक में मिलती है जहाँ से उसने एक नये भविष्य की कामना की थी पर अब वह रवि की सहायता लेना नहीं चाहती और हमेशा के लिए उसे चले जाने को कहती है।
इस तरह पूरी फिल्म स्तिथियों-परिस्थितियों के बीच चलती रहती है। ओवर अल फिल्म अच्छी है, कांसेप्ट अच्छा है एक मिसअंडरस्टेंडिंग पर ही पूरी कहानी का ताना बाना निर्भर है रवि चाहते हुए भी माशा को अपना नहीं बना सकता ,मि. मिश्रा की क्या गलती रही उसने तो एक तवायफ को नई ज़िन्दगी दी, समाज में इज्ज़त दी, पर उसे क्या मिला ?,और रवि की बीवी प्यार करते हुए भी प्यार की फिलिंग समझ नहीं पाई या वो 'every thing is fare in love and war' में विश्वास करती होगी तभी तो माशा को देख लेने पर भी वह रवि को उसके बारे में नहीं बताती पर क्या उसे रवि का प्यार मिल पाया ?और माशा का जीवन तो बाद से बदत्तर हो ही चुका था ..... ....इस प्रकार भावो -अभावों के बीच पूरी फिल्म चलती रहतीहै और एक बेबस ख़ामोशी जो खामोश होकर भी कुछ कहती है पर फिल्म ख़तम हो जाती है

6 टिप्‍पणियां:

  1. देखते हैं यह फिल्म! आभार.


    एक निवेदन:

    कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये

    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:

    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..जितना सरल है इसे हटाना, उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये.

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  2. बहुत बढ़िया प्रतिमा...प्रयास जारी रखें. कम शब्दों में अच्छी प्रतुति.

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  3. Coincidence decides with whom you are going to meet in your life,
    Your heart decides with whom you want to stay,
    But only destiny decides who gets to stay in your life forever....

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