मंगलवार, 18 मई 2010

देह भाषा भी मूलत: भाषा ही हैl




हम जब कभी भाषा की बात करते हैं तो क्या कभी देह भाषा के बारे में भी सोंचते हैं ? अगर हम linguistic में देखे तो वहाँ भाषा को विभिन्न मुखाव्यवों द्वारा उच्चरित भाषा ही कहा जाता है और अगर आप लोगों से पूछे तो वे कहेंगे कि भाई साहब भाषा तो वही है जो मुँह से बोली जाती है और बहुत से बड़े विद्वानों ने भी भाषा के बारे में जो खोज किए हैं वो भी भाषा कि सरंचना के आधार पर ही किए हैं या फिर उसे समाज के साथ जोड़ कर ही देखा है (सस्यूर , ब्लूम फ़ील्ड , चोमस्की ,फ़र्ग्युसन ,लेबाव ,रविन्द्र नाथ श्रीवास्तव ,भोलानाथ तिवारी ) पर उन्होंने कही भी भाषा को देह के साथ जोड़ कर नहीं देखा जबकि अगर ध्यान से देखा जाए तो हमारी भाषा की शुरुआत ही संकेतों और देह भाषा ही से हुई है पहले समय में जब हमारे पास भाषा नही थी तब हम संकेतो, इशारों,शरीर के विभिन्न अंगों , चिन्हों के माध्यम से ही अपनी बात दूसरों तक पहुचाते थे पर धीरे- धीरे, जैसे- जैसे भाषा का विकास होता गया वैसे- वैसे हम सिर्फ़ मुँह से बोलने वाली भाषा तक ही सीमित रह गए और यहाँ तक की सारी research वगैरह भी बाद में इसी पर सीमित हो गयी और हम ने अपनी भाषा का विकास जहाँ से शुरू किया था हम उसे भूल ही गए पर अगर हम गौर करे तो हम कम से कम अपनी आधी बातें तो संकेतों ,इशारो ,चिन्हों आदि से ही कहते हैं जैसे मुझे नही पता के लिए कंधे उचकाना, उंगली मुँह पर रखने का अर्थ है चुप रहना ,हाथ को घूमा के पूछने का अर्थ है क्या हुआ , ताली बजाने का अर्थ है किसी काम का अच्छा करने पर उसकी तारीफ़ करना ,किसी का हाथ छूना अब देखिये हाथ को छूने के भी , अर्थ निकलते है जैसे किसी माँ का अपने बेटे को छूने में ममता झलकती है ,किसी प्रेमिका द्वारा अपने प्रेमी को छूने से प्यार का पता चलता है इसी तरह किसी लड़के का किसी लड़की को आँख मारने या सीटी बजाने का अर्थ है की वह किसी लड़की को छेड़ रहा है और अगर दोस्त आपस में बात करते हुए एक -दूसरे को आँख मार रहे हो तो इसका अर्थ है की वे किसी तीसरे से किसी दूसरी बात को मजाक में ले रहे हैं ,माँ द्वारा अपने बच्चे को दूर से थप्पड़ दिखाने का अर्थ है की वो माँ उसकी पिटाई करेगी और किसी बात पर गुस्सा है ,एक उंगली को अपने कान के ऊपर थोड़ा सा लाकर फ़िर उंगली को घुमाने का अर्थ है की दूसरा व्यक्ति जो है वो पागल है , रुपये पैसे के लिए अंगूठे और पहली उंगली को , बार घूमाने का अर्थ है की व्यक्ति पैसों के बारे में बात कर रहा है इसी तरह भूख लगने पर हम अपने हाथ की पाँचो उंगलियों को मिलाकर उसे मुँह के पास ले जाते है, कहीं से बदबू आने पर रुमाल को मुँह पर रखते है आदि आदि और न जाने इस तरह के ही कितने संकेतो का इस्तेमाल हम अपने रोज़मर्रा के भावों और विचारों को बताने के लिए करते हैं पर हम फ़िर भी इस देह भाषा के बारे में कभी भी नही सोचते जबकि हमें अपनी भाषा में ही इसे भी जगह देनी चाहिए माना की ये भाषा का सीमित रूप है पर फ़िर भी जब हम समाज और भाषा के सम्बन्ध को देखते हुए भाषा की बात करते है तो जहाँ तक मुझे लगता है हम इस देह भाषा को अनदेखा नही कर सकते l

1 टिप्पणी:

  1. भाषा में भी जब प्रबल अनुभूति का समाघात लगता है तब वह शब्दार्थ की अधिकाधिक सीमा को लांघ जाती है।

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